जैसे आकाश में तारे जल में जलकुंभी हवा में आक्सीजन पृथ्वी पर उसी तरह मैं तुम हवा मृत्यु सरसों के फूल जैसे दियासलाई में काठी घर में दरवाजे पीठ में फोड़ा फलों में स्वाद उसी तरह... उसी तरह...
हिंदी समय में केदारनाथ सिंह की रचनाएँ